हम एक पैसे का काम करेंगे, 100 पैसे का प्रचार करेंगे।
हर इवेंट को अपने व्यक्तिगत प्रचार के लिए मीडिया और सोशल मीडिया का उपयोग करेंगे।मीडिया और सोशल मीडिया ही आज बहुत ताकतवर है।
यही मीडिया आज राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।किसी राजनैतिक व्यक्ति की छबि को उभारने में इस मीडिया की भूमिका को कैसे नकारा जा सकता है ?
जो लोग अपने हर इवेंट को मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए अपना प्रचार नही करते है वे राजनैतिक परिदृश्य से ओझल हो जाते हैं।
इसलिए हर राजनैतिक कार्यकर्ता को कैमरा के साथ रहना जरूरी है अन्यथा वे भी राजनैतिक नक्शे से गुम हो जायेंगे।
लेकिन यह कथन कितना सच हैं?
यह कथन या सोच उस राजनैतिक नेताओं के लिए फिट बैठता है जो लोग सामूहिक नेतृत्व को नकार कर व्यक्ति केन्द्रित राजनीति करते है।
सामूहिक नेतृत्व किसी एक व्यक्ति की नेतृत्व की अवधारणा को नकारता है।इसलिए हर इवेंट मे किसी व्यक्ति को महिमामंडित करने की आवश्यकता सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करने वाले राजनैतिक ताकतों को नही पड़ती हैं।
सामूहिक नेतृत्व में पूरे समूहों की गतिविधियों को प्रचारित किया जाता है किसी व्यक्ति विशेष का प्रचार नही होता हैं।
जो लोग किसी व्यक्ति को प्रचारित कर महिमामंडित करते वे सामूहिक नेतृत्व को नकारते हैं।और फिर मजदूर वर्ग के पास इवेंट मैनेजमेंट करने की आर्थिक क्षमता भी नही होती हैं।
प्रचार की चकाचौंध से अलज एक वैकल्पिक रास्ता भी है – और वह है जनआंदोलन ।जनता के मुद्दों पर जनता का संघर्ष ।इसी मार्ग से झूठे प्रचार ,इवेंट मैनेजमेंट की राजनीति को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता हैं।
देश के किसानों का आंदोलन इसका ज्वलंत उदाहरण है ।
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