back to top
रविवार, जुलाई 27, 2025
होमआसपास-प्रदेशकिसान सभा ने बेचाघाट आंदोलन का किया समर्थन, कहा कानून और संविधान...

किसान सभा ने बेचाघाट आंदोलन का किया समर्थन, कहा कानून और संविधान का उल्लंघन कर रही है सरकार

भाजपा-कांग्रेस को आदिवासी जनजीवन, संस्कृति और उनके अस्तित्व की कोई चिंता नहीं है

कांकेर/बांदे (पब्लिक फोरम)। कांकेर जिले की पखांजुर तहसील में बेचाघाट नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण और सैनिक छावनी बनाने का विरोध कर रहे आदिवासियों के आंदोलन का छत्तीसगढ़ किसान सभा ने समर्थन किया है। आज किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते ने नदी तट पर पिछले तीन माह से धरना दे रहे आंदोलनकारियों के बीच जाकर उन्हें संबोधित किया तथा इस आंदोलन के साथ अपने संगठन की एकजुटता जाहिर की।

धरनारत आदिवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने आदिवासी समुदाय पर कॉर्पोरेटपरस्त विकास थोपे जाने की कड़ी आलोचना की तथा कहा कि भाजपा-कांग्रेस को आदिवासी जनजीवन, संस्कृति और उनके अस्तित्व की कोई चिंता नहीं है। आज आदिवासी समुदाय शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, आवास, राशन, रोजगार जैसी बुनियादी मानवीय सुविधाओं से वंचित है।

किसान नेता संजय पराते

उन्हें वन व प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं, जबकि उनकी सहमति के बगैर कॉरपोरेट मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए पुल और सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और उनके विरोध और प्रतिरोध को कुचलने के लिए सैनिक छावनियां बैठाई जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की ये करतूतें हमारे देश के संविधान और कानून का खुला उल्लंघन है और आदिवासी समाज इसे सहन नहीं करेगा। ऐसी सरकारों को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है।

किसान सभा नेता ने 5वी अनुसूची के प्रावधानों और पेसा कानून को लागू करने की मांग की, ताकि आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन, खनिज और प्राकृतिक संसाधनों पर परंपरागत अधिकारों की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि भाजपा-कांग्रेस की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियां वास्तव में आदिवासियों के सर्वनाश की नीतियां हैं।

इन नीतियों के चलते मुनाफे के लिए प्राकृतिक संसाधनों को कॉरपोरेटों को सौंपा जा रहा है और आदिवासियों को विस्थापित किया जा रहा है। इसका विरोध करने वाले आदिवासियों को गोलियों से भूना जा है। देश के पांच करोड़ आदिवासी आज विस्थापन की चपेट में है और उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।

परलकोट किसान कल्याण संघ के नेता पवित्र घोष ने भी इस क्षेत्र में बसे बंगाली समुदाय की ओर से आदिवासियों की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने आदिवासियों से अपनी एकता और संगठन को औऱ मजबूत बनाने की अपील की।

50 साल की सेवा, फिर भी न कर्मचारी का दर्जा, न...

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हक और उनका संघर्ष: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन रायपुर/नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। देशभर में कार्यरत करीब 27...
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments