● केरला में असंगठित क्षेत्र में कार्यरत अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी 660 रूपये, दिल्ली में 571 रूपये, महाराष्ट्र में 573 रूपये, तेलेंगना में 517 रूपये और छत्तीसगढ़ में मात्र 350 रूपये हैं। छत्तीसगढ़ के अपेक्षा केरल में दैनिक मजदूरी का दर करीब दोगुनी है।
■ डॉक्टर एक्रोयड के सूत्र को आधार मानकर सन 1957 में 15 वां श्रम सम्मेलन में हमारे देश में न्यूनतम मजदूरी निर्धारण का फार्मूला तय किया गया था कि एक परिवार का तात्पर्य पति पत्नि और दो संतान यानि तीन वयस्क सदस्य।
● आक्रोयैड के फार्मूला के अनुसार परिवार के हर सदस्य को दैनिक 2700 कैलरी भोजन की आवश्यकता है। एक ग्राम पानी को एक डिग्री सेलासियस गरम करने के लिए जितनी उर्जा की जरूरत होती है वह ही एक कैलरी का परिमाप है। तीन सदस्य परिवार के लिए मकान, प्रत्येक सदस्य को वार्षिक 65.8 मीटर कपड़ा की जरूरत होती है उसे पूरा करना। बिजली, ईंधन बाबत मजदूरी का 20 % अतिरिक्त राशि न्यूनतम मजदूरी में शामिल करना। सन 1957 में न्यूनतम मजदूरी निर्धारण में एक्रोयड के इस सूत्र को अपनाया गया था।
■ एक्रोयड के फार्मूला के अनुसार एक इंसान को दैनिक 2700 कैलरी हासिल करने के लिए 15 आउंस अनाज, 03 आउंस दाल, 15 आउंस सब्जी, 10 आउंस दूध, 2आउंस शर्करा, तेल-घी 2 आउंस, फल 2 आउंस , मछली-मांस 03 आउंस, अंडा 01 आउंस की आवश्यकता होती हैं।(1आउंस यानि 28.35 ग्राम)।
● 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक फैसला सुनाते हुए कहा कि 1957 के न्यूनतम मजदूरी निर्धारण के फार्मूला के साथ मजदूर के संतानों की शिक्षा,परिवार के मनोरंजन ,चिकित्सा के लिए न्यूनतम मजदूरी में और 25% अतिरिक्त राशि शामिल किया जाना चाहिए ।
■ उपरोक्त फार्मूला को अमल करने पर आज प्रत्येक मजदूर का मासिक मजदूरी 26 हजार रूपये होता है।
● संभ्रांत मध्यम वर्गीय लोगों को यह आश्चर्य लग सकता है कि एक अकुशल श्रमिक जो मिट्टी खोदने का काम करता है वह किस तरह 26 हजार रूपये मासिक मजदूरी पाने का हकदार है? बेशक श्रमिकों का यह हक और अधिकार संगठित मजदूर आंदोलन ने संघर्ष के बल पर हासिल किया है।
● वर्तमान दौर में मह॔गाई को देखते हुये एक्रोयड फार्मूला के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसला को अगर अमल करते हैं तो असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाला अकुशल श्रमिक का मासिक वेतन 26हजार से कम नहीं हो सकता है। आइए देखते है एक्रोयड फार्मूला के अनुसार प्रत्येक मजदूर परिवार की मासिक आवश्यकता:-
🔺️ चावल प्रति परिवार 44 किलो, दाल 07 किलो, अनाज 09 किलो, सब्जी 11 किलो, हरी सब्जी 07 किलो, फल 11 किलो, दूध 18 लीटर, शक्कर 5 किलो, तेल 03 लीटर, मछली 2.5 किलो, मांस 05 किलो, अण्डा 90 नग, साबुन 4 नग, कपड़ा धुलाई साबुन हाई, कपड़ा इन सबके कुल मासिक खर्च 15, 000 रूपये। इस राशि का 20 % यानि 3000 ईंधन, बिजली-पानी अर्थात 18000 रूपये। इस 18000 पर 25 % संतानों के शिक्षा, मनोरंजन के लिये अर्थात रूपये 4500 कुल 22500 इसके साथ मकान किराया और विविध 3500 रूपये शामिल किया जायें तो मासिक 26000 रूपये न्यूनतम मजदूरी होता है।
● आज छत्तीसगढ़ में मासिक न्यूनतम मजदूरी 9, 100रूपये है। लेकिन अधिकांश श्रमिकों को यह न्यूनतम मजदूरी भी हासिल नही हो पाता है। शासन- प्रशासन पर मालिक-ठेकेदारो की दबदबा होने के कारण वह कानूनों का पालन तक नहीं करते। मोदी सरकार ने तो श्रम कानूनों को ही समाप्त कर श्रम संहिता बना दिया है।
● असंगठित मजदूर के रूप में सबसे अधिक सामाजिक रूप से पिछड़ा वर्ग, दलित, आदिवासी, महिला ही काम करते है। उनका शोषण सिर्फ सामाजिक रूप से ही नही आर्थिक रूप में भी होता है। आर्थिक कमजोरी सामाजिक भेदभाव का भी एक प्रमुख कारण बनी हुई है। सामाजिक समानता और आर्थिक समानता का अधिकार एकजुट संघर्ष से ही श्रमिकों को हासिल हो सकता हैं। (आलेख : सुखरंजन नंदी)
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