शनिवार, जुलाई 27, 2024
होमकोरबाहटधर्मी व तानाशाह सरकार की हार है कृषि कानूनों का वापस होना:...

हटधर्मी व तानाशाह सरकार की हार है कृषि कानूनों का वापस होना: माकपा

कोरबा (पब्लिक फोरम)। तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस करने की प्रधानमंत्री की घोषणा आजादी के बाद के सबसे बड़े और शांतिपूर्ण ऐतिहासिक आंदोलन की जीत है, जिसे सरकार और सरकार के पीछे खड़े संगठनों, भाजपा और संघी गिरोह ने खालिस्तानी, पाकिस्तानी, पृथकतावादी, नक्सलवादी,आंदोलन जीवी आदि-इत्यादि कहकर बदनाम किया था। इस जीत का श्रेय किसानों और इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चे को जाता है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिवमंडल ने उक्त जीत के लिए किसानों को बधाई देते हुए कहा है कि सरकार ने खुद ही दावा किया है कि इस आंदोलन से सिर्फ दिल्ली को ही प्रतिदिन 3500 करोड़ का नुकसान हो रहा था। जाहिर है कि यदि सरकार पहले दिन ही किसानों की मांग को मान लेती, तो एक साल तक चले इस आंदोलन से होने वाले 13 लाख करोड़ रुपए के नुकसान से बचा जा सकता था। यह सिर्फ दिल्ली के कारोबार का नुकसान है और इससे देश भर में हुए नुकसान की कल्पना की जा सकती है।

माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि सरकार की हठधर्मिता से सिर्फ राष्ट्र को आर्थिक क्षति ही नहीं हुई है, बल्कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए 750 से अधिक किसानों और लखीमपुर खीरी में मंत्री के बेटे द्वारा कुचल दिए गए किसानों की मौत भी इसी हठधर्मिता का परिणाम है। यदि सरकार अपनी कारपोरेटपरस्ती को छोडक़र किसानो के साथ संवाद का रास्ता अपनाती और तभी इन कानूनो को वापस ले लेती, तो इन घरों के चिरागों को भी बुझने से बचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि इन मौतों के लिए जिम्मेदार सरकार को शहीद किसान परिवारों के पुनर्वास और मुआवजे की व्यवस्था करना चाहिए।

माकपा नेता ने इस जीत को सरकार की हठधर्मिता की हार बताते हुए कहा है कि संसद में बिना बहस के पारित कराये गए इन कानूनों को वापस लेने का अधिकार भी संसद को है। सरकार को संसद में इन कानूनों को वापस लेना चाहिए और किसानों की बुनियादी मांग एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाने और किसान व जनविरोधी बिजली बिल को वापस लेने की भी घोषणा करनी चाहिए।

माकपा ने संयुक्त किसान मोर्चे को इस जीत के लिए बधाई देते हुए कहा है कि माकपा आने वाले दिनों में भी संयुक्त किसान मोर्चे के हर आव्हान कर समर्थन करेगी।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments