शनिवार, जुलाई 27, 2024
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वेदांता-बालको की यह कैसी कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी? और कैसी समाज सेवा?

प्रबंधन द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों और समाज सेवा की कुछ खास नमूनों पर एक नज़र “

1) भारत एल्युमिनियम कंपनी द्वारा बनाए गए समाज सेवा हेतु कोविड- सेंटर में कोरोना मरीजों की उपचार हेतु प्रतिदिन ₹10000 की दर से पैसे वसूला जाना सर्वश्रेष्ठ विकास कार्यों में से एक है।


2) बालको प्रबंधन द्वारा वैक्सीनेशन के नाम पर ₹250 वसूले जाना यह अपनी इंटरनेशनल उपलब्धि को दर्शाता है की बाल्को ने अपने क्षेत्र में वैक्सीनेशन के नाम पर पैसे वसूल कर अत्यंत सराहनीय कार्य किया है।


3) भारत एल्युमिनियम कंपनी द्वारा अपने स्वयं के गोद लिए गांवों एवं स्थानीय वार्डों में स्थापित किए गए स्वास्थ्य केंद्रों में ना तो किसी प्रकार की कोरोनावायरस ना ही किसी प्रकार की वैक्सीनेशन एवं नाही कोरोना से जुड़ी किसी उपचार की व्यवस्था मार्च 2020 से लेकर अब तक की गई यह अपनी समस्त उपलब्धियों को पीछे छोड़ कर नंबर वन की उपलब्धियों में शामिल होने को तैयार है।


4) बालको प्रबंधन स्वयं की कालोनियों में स्वयं के कर्मचारियों के के लिए सड़क एवं नाली की मरम्मत कराकर ऐसा दिखाना चाहती है कि मानो उसने स्थानीय लोगों को स्वर्ग में जगह दिला दिया हो।
और स्वर्ग में जगह दिला देना वाला इंसान भगवान के अलावा और कोई नहीं हो सकता तो अब बालको प्रबंधन भगवान की उपलब्धि को भी पाने से पीछे नहीं हट रहा।

5) बालको प्रबंधन द्वारा बीते वर्षों से सिर्फ एक ही डैम को हाइट पर हाइट हाइट के ऊपर हाइट करते चले गए और अपने डैम के चारों और निवासरत स्थानीय लोगों की जिंदगी को किसी भी वक्त मौत के मुंह में चले जाने की स्थिति में लाकर छोड़ दिया
वह ऐसे ही जब वह दिन कभी फूट जाता है तो आसपास निवासरत लोग मौत को गले लगाने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते और डेम को सिर्फ राखड और मूरूम से हाइट करते चले गए कोरबा जिले के जैसे स्थान में दो से तीन माले बनाने की बिल्डिंग की परमिशन नहीं मिलती।
ऐसे जगह में इन्होंने 6 से 7 माले की टीम बनाकर तैयार कर दी वह भी मलबे से अब इन्होंने परमिशन कहां से लाया उसकीHजानकारी विस्तार से बाद में अब आप सोचिए कि यह उपलब्धियों में एक उपलब्धि है कि नहीं और विकास कार्यों में एक विकास कार्य है।

6) अब पुनः बालको प्रबंधन द्वारा अपने विकास कार्यों को आगे बढ़ाते हुए उसी डैम के आ0को खाली करवा – करवा कर स्थानीय लोगों को पेट भरने की व्यवस्था की जा रही है क्योंकि अब खाने से तो पेट भरने से रहा राखड खा-खा कर पेट भरा जाएगा इसकी व्यवस्था की गई है हर जगह सड़कों पर हर जगह नदियों में हर जगह नालों पर खेतों में खलिहान में जंगलों में सिर्फ राखड़ और राखड मय कर दिया गया।

अब जो प्रबंधन खाने के बजाय राखड से लोगों की पेट भरने की व्यवस्था कर दे तो उसे तो ऑस्कर अवार्ड मिलना चाहिए।

6) विकास कार्यों को आगे बढ़ाते हुए बालको प्रबंधन ने ऐसे ऐसे कारनामे दिखाए हैं जिसकी बराबरी करना तो दूर है सोच भी पाना मुश्किल है।

जैसे अपने उन कर्मचारियों जिन्होंने इस संयंत्र को जीरो से लेकर इस मुकाम तक पहुंचाया अपनी पूरी जिंदगी इस संयंत्र को सौंप दी और दूसरा कुछ नहीं किया।
और आज जब वही कर्मचारी सेवा निवृत होकर एक बहुत बड़ी राशि प्रबंधन के अकाउंट में छोड़कर कुछ कारणों से बालको के जर्जर आवासों में रह रहे हैं, उनकी मेडिकल फैसिलिटी बंद करके उन्हें मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।

अब ऐसे कृत्यों को किस उपलब्धि की श्रेणी में रखना है और कौन से विकास कार्य की सूची में दर्ज करना है यह हमारे सम्मानित पाठकगण स्वयं तय करें।

( लेखक:शहजाद अहमद खान बालको नगर के एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं )

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