झारखंड/रांची (पब्लिक फोरम)। भारत के आदिवासी समुदाय का राष्ट्रीय संघर्ष सम्मेलन झारखंड प्रदेश के रांची में आगामी 14 एवं 15 नवंबर को संपन्न होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में आदिवासी समुदाय के द्वारा कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है।
भारत में आदिवासी समुदाय ऐतिहासिक रूप से एक कई प्रकार की हिंसात्मक हिंसा के शिकार रहे हैं। विकास के नाम पर कारपोरेट लूट और विस्थापन; कुपोषण और भुखमरी; बलात्कार सहित राज्य दमन; नरसंहार और झूठे आधारों पर कैद; शिक्षा और रोजगार दोनों में भेदभाव और उत्पीड़न, और भाषाओं और संस्कृतियों का सफाया करने के लिए वर्चस्व वादी ऊऊऊ हाई बीवीu। वर्तमान शासन के तहत भेदभाव और हिंसा के इन रूपों में तेजी से वृद्धि हुई है भले ही आदिवासी समुदाय संगठित हो रहे हैं और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
सोनी सोरी, स्टेन स्वामी और सुधा भारद्वाज जैसे कार्यकर्ताओं को आदिवासियों के अधिकारों और सम्मान के लिए काम करने के लिए हमलों के साथ साथ अन्याय पूर्ण कैद और संस्थागत हत्याओं का सामना करना पड़ा है।
आदिवासी आंदोलन जल, जमीन, जंगल की कारपोरेट लूट का विरोध कर रहे हैं और आदिवासी किसान कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का एक महत्वपूर्ण दल हैं।
आदिवासी आंदोलनों को मजबूत करने की दिशा में 14 एवं 15 नवंबर को रांची में बगीचा (स्वर्गीय स्टैंड स्वामी द्वारा प्यार से पोषित संस्था) में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय आदिवासी संघर्ष सम्मेलन में आदिवासी समुदाय को आमंत्रित किया गया है।
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