कांकेर (पब्लिक फोरम)। बस्तर में यात्री रेल परिवहन को प्रारंभ करने की मांग को लेकर आज अंतागढ से जगदलपुर तक पदयात्रा निकालकर अपनी आवाज को बुलंद करेंगे।इस आंदोलन को विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी,छत्तीसगढ किसान सभा और राजमिस्त्री संगठनो ने भी समर्थन किया हैं।
आज जारी एक व्यान में माकपा नेता नजीब कुरैशी ,छत्तीसगढ किसान सभा के राज्य समिति सदस्य सुख रंजन नंदी एवम राज्य मिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता युनीयन के राज्य उपघ्यक्ष तुलसी राम राणा ने इस आंदोलन का समर्थन व्यक्त करते हुऐ कहा की वर्तमान में अंतागढ़ तक के रेल मार्ग बन कर तैयार है फिर भी रेल सुविधा ग्राम केवटी तक ही सीमित कर रखा गया है जिसे तत्काल अंतागढ़ तक नागरीक सुविधा के लिए प्रारंभ किया जाय व जगदलपुर तक विस्तारी करण किया जाने की माँग करते हुऐ नजीब कुरैषी ने कहा की रेल लाइन का विस्तार मानव सभ्यता के विकास में अहम भुमिका निभाता है।
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भारत में अंग्रेजो ने रेल लाइन बिछाया था, यहां के कच्चे माल का ढुलाई करने के उद्देष्य से ताकि वे यह कच्चे माल बंदरगाह तक पहुँचाया जा सके और उसके बाद वह अपने देश में ले जा सके। आजादी के बाद रेल लाइन का उपयोग हमारे देश के पूँजीपति वर्ग ने कच्चे माल को अपने उद्योग में लाने एवं अपने उत्पादित सामानों को बाजार तक पहुँचाने के लिए रेल परिवहन का उपयोग करते रहे ताकि उनका मूनाफा हो सके। शासक वर्ग के लिए रेल का उपयोग यात्री परिवहन के लिए करना कभी भी मुख्य उद्देष्य कभी भी नहीं रहा है। रेल का उपयोग वे सर्वदा अपनी मूनाफा कमाने के लिए किया है।
नेताओं ने आगे कहा की आजादी के 75 वर्ष बाद भी बस्तर में रेल का जाल नहीं बिछा पाया है। यहाँ रेल पटरी का उपयोग सिर् यहाँ के खनिज सपंदा को लूटने के लिए किया जा रहा है। रेल पटरी से सिर्फ माल ढुलाई का काम किया जाता है यात्री परिवाहन के लिए नहीं किया जाता है जबकि रेल परिवाहन सार्वजनिक परिवाहन के सबसे सस्ता माध्यम है अंतागढ़ तक रेल पटरी बिछाये जाने के बाद भी यात्री परिवाहन नही किया जाता है। अंतागढ़ से जगदलपुर रेल परियोजना है, लेकिन इसे प्रारंभ नही किया जा रहा है।
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उन्होने बताया की बस्तर संभाग का विकास रेल के विस्तार से यात्रा जुड़ा हुआ है रेल परिवाहन ही बस्तर की जनता को देष के साथ जोडने में सुगम बनायगी। बस्तर के आदिवासी लोगो के विकास भी रेल के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन मोदी सरकार सिर्फ पूँजीपति वर्ग को ध्यान में रखकर आदिवासी बहुल बस्तर का उपेक्षा कर रही है। केन्द्र सरकार को आदिवासी विरोधी व पूँजीपतिपरस्त नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता पर बल देते हुए अन्दोलन तेज करने की अपील की हैं ।
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