रायपुर:खरोरा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ किसान महासभा के संयोजक नरोत्तम शर्मा ने प्रेस को जारी अपने बयान में बताया है कि अपने आप को राष्ट्रवादी कहने वाली केन्द्र की मोदी सरकार के राष्ट्रवाद में देश की बड़ी आबादी किसान और मजदूर नहीं है जबकि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हमेशा ही किसान रहे हैं, इसलिए किसान देश का नायक है यह इतिहास भी बताता है। आजादी के आंदोलन में जो सैनिक विद्रोह हुआ था वह किसानों के बल पर ही सफल हुआ था। तथाकथित राष्ट्रवादी सरकार या मातृ संगठन आर एस एस के द्वारा किसानों को हमेशा ही हिन्दू मुस्लिम में बांटने की साजिश करते रहे हैं इस साजिश को भी 1857 के आंदोलन में किसानों ने असफल किया है।
पहले किसान अपने संकटों को लेकर लड़ते थे परन्तु पिछले 25-30 वर्षों में अपने संकट के खिलाफ लड़ने के बजाय किसान आत्महत्या ही कर रहे हैं। खासकर 1990-91 में अपनाई गई नई आर्थिक नीति लागू करने के बाद ही आत्महत्या की घटना बढ़ी है। खेती में लागत मूल्य लगातार बढ़ते ही जा रहा है जबकि ऊपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। यही कांग्रेस और भाजपा सरकारों द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीति में अंतर मिट जाता है।किसानों को ऊपज की मूल्य नहीं मिलने के कारण बैंक भी उन्हें कर्ज नहीं देना चाहता ।
उपरोक्त बातें छत्तीसगढ़ जन संस्कृति मंच के संयोजक तथा “यह किसानों के अस्तित्व का संघर्ष है” नामक यादगार पुस्तक के लेखक प्रोफेसर सियाराम शर्मा ने तीन कृषि कानून एवं किसान आंदोलन विषय पर रायपुर जिला के खरोरा तहसील अंतर्गत ग्राम बंगोली में आयोजित किसान विचार गोष्ठी में व्यक्त किए । विचारगोष्ठी की शुरुआत किसान आंदोलन में 600 से अधिक किसान शहीदों तथा कोविड के दौरान मोदी सरकार के कुप्रबंधन के कारण लाखों की संख्या में मारे गए लोगों को एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि से हुई.उन्होंने आगे कहा कि ये तीन कृषि कानून जहाँ कृषि उपज मंडी समिति को ध्वस्त करता है वहीं खाद्य संकट को खतरनाक स्तर तक बढ़ाने , सार्वजनिक वितरण प्रणाली को खत्म करने वाली है।कंपनियों को यह कानून अकूत जमाखोरी की छूट देता है इससे देश में भूखमरी बढ़ने वाली है।कांट्रेक्ट खेती से जहां छोटे छोटे खाद-बीज ,कीटनाशक दवाओं से जुड़े व्यवसायी बर्बाद होंगे वहीं किसानों का जीना मुश्किल हो जाएगा।उन्होंने किसानों के आंदोलन के साथ खेत मजदूर, छात्र-नौजवान, छोटे व्यापारी, महिलाओं सहित तमाम नागरिक संगठनों को एकजुट होने का आह्वान किया।छत्तीसगढ़ किसान महासभा द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित भारत बंद को छत्तीसगढ़ में भी सफल करने सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों, शिक्षण संस्थानों सहित विभिन्न सरकारी संस्थानों को पत्र लिखकर किसानों के पक्ष में एक दिन बंद रखने की अपील किया गया. गोष्ठी में भारत बंद को लेकर गांव-गांव में बैठक करने का निर्णय लिया गया.विचार गोष्ठी में प्रसिद्ध कथाकार कैलाश बनवासी, मोहित जायसवाल, अखिलेश एडगर, एक्टू से विजेन्द्र तिवारी और श्री गुरु घासीदास सेवा संघ के केंद्रीय संयोजक साथी लखन सुबोध ने भी अपनी बात रखते हुए जन समुदाय से मोदी सरकार की मजदूर विरोधी किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान आंदोलन के साथ एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान किया। गोष्ठी का संचालन छत्तीसगढ़ किसान महासभा के संयोजक नरोत्तम शर्मा के द्वारा किया गया और सभी को गोष्ठी में शामिल होने पर आभार प्रकट किया ।
इस अवसर पर केशव साहू, बिसहत कुर्रे, पुष्कर नायक, खंजन रात्रे, विशाल गायकवाड़, कन्हैया लाल साहू ,आर पी गजेंद्र, गुलाल कंडरा, उषा जायसवाल, अजुलका सक्सेना, वंदना बैरागी,श्वेता राजपूत, प्रतिभा बैरागी, रूपदास टण्डन, मानसिंग चतुर्वेदी, नेतराम खाण्डेय,धर्मेंद्र बैरागी, गुलाटी खाण्डेय सहित बंगोली, कुर्रा,मूरा, धनसुली, रायखेड़ा, गनियारी,पिकरीडीह के किसान उपस्थित थे।सभी ने 28 सितंबर को राजिम में आयोजित किसान महापंचायत में उपस्थित होने का संकल्प लिया।
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