शनिवार, जुलाई 27, 2024
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टेक फॉग ऐप के खुलासे की अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच बहुत आवश्यक है: आइलाज

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस ‘आइलाज’ (AILAJ) के राष्ट्रीय संयोजक क्लिफ्टन डी राजोरियो ने ऑनलाइन पोर्टल ‘द वायर’ के द्वारा की गई एक जांच में हुए हालिया खुलासे पर इसकी भर्त्सना करने के साथ ही अपनी नाराजगी ज़ाहिर करते हुए कहा है कि जांच में यह उजागर हुआ है कि कैसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े लोग नागरिकों को परेशान करने और दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार फैलाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। वे लाखों लोगों को ग़लत सूचना देकर प्रापगेंडा फैलाने के लिए निष्क्रिय व्हाट्सएप अकाउंट को हाईजैक करने के साथ-साथ ट्विटर और फेसबुक ट्रेंड को भी कैप्चर कर रहे हैं।

‘द वायर’ ने 06.01.2022 को एक धमाकेदार जांच रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि कैसे भाजपा से जुड़े लोगों द्वारा टेक फॉग नाम के एक ऐप का इस्तेमाल घृणित प्रचार और नागरिकों के उत्पीड़न के लिए करते हैं. इस ऐप की जाँच बीजेपी की सूचना प्रौद्योगिकी सेल (आईटी सेल) के पूर्व कर्मचारी द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में शुरू हुई, जिसने अप्रैल 2020 में गुप्त ऐप का भांडा फोड़ किया था. इसके बाद ‘द वायर’ ने इन दावों को सत्यापित करने के लिए जांच की एक श्रृंखला शुरू की। वायर द्वारा खोजी गयीं ऐप की विभिन्न विशेषताओं में से सबसे खतरनाक तथ्य निम्नलिखित हैं।

* यह ऐप ट्विटर और फेसबुक ट्रेंड को हाईजैक कर सकती है, और ‘ऑटो रीट्वीट’ और ‘ऑटो शेयर’ की विशेषताओं के माध्यम से ट्वीट्स की लोकप्रियता को कृत्रिम रूप से बढ़ा सकती है. इस तरह ऐसी पोस्टें वायरल होती दिखती हैं जो स्वतः लोकप्रिय नहीं हो सकती थीं. ऐसे में यह समझना असम्भव हो जाता है कि क्या वास्तविक है और क्या नहीं. निश्चित रूप से ये ऐप्स ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से इन साइटों पर मौजूद लाखों लोगों के बीच दुष्प्रचार फैलाने में उपयोग की जा सकती हैं।

* यह ऐप नागरिकों के निष्क्रिय व्हाट्सएप खातों में दख़ल करके संपर्क सूची सहित उनकी निजी जानकारियों तक पहुँच सकता है. ऐप इन व्हाट्सएप अकाउंट्स का उपयोग करते हुए उनके कॉंटैक्ट्स को संदेश साझा भी कर सकती है. यह फ़ीचर किसी भी नागरिक को, जिसके पास ऐप है, की सबसे अंतरंग जानकारी को उनकी जानकारी या स्वीकृति के बिना एक्सेस करने की अनुमति देता है।

* इस ऐप के पास नागरिकों का विस्तृत ब्यौरा मौजूद है, जिसमें उनके व्यवसाय, धर्म, भाषा, उम्र, लिंग, राजनीतिक झुकाव और यहाँ तक कि त्वचा के रंग और स्तन के आकार जैसी शारीरिक विशेषताओं के अनुसार वर्गीकरण किया गया है. इस डेटाबेस को तब कमजोर समुदायों की उत्पीड़न सहायक सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाता है।

टेक फॉग ऐप अपने मूल में अवैध, आक्रामक और अत्यधिक लोकतंत्र विरोधी है। यह ऐप ऐसे कई प्रश्न खड़े करती जो दिखने में भले ही अलग-अलग दिखें लेकिन उनका सार-तत्व लोकतंत्र, तकनीक की भूमिका, निजता के अधिकार और कॉर्पोरेट दुर्भावना से ही जुड़ता है. गलत सूचना, अभद्र भाषा और फर्जी खबरें भाजपा के सोशल मीडिया एजेंडे के तीन प्रमुख पहलू हैं. टेक फॉग ऐप बीजेपी द्वारा अपने प्रचार को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सोशल मीडिया टूल्स में सबसे नया है.एक अन्य उपकरण – उदाहरण के लिए – भाजपा द्वारा निर्मित ट्विटर ट्रोल सेनाएँ हैं.किसी भी दिन सोशल मीडिया – विशेष रूप से ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप – ट्रोल सेनाओं से भर जाता है जो या तो गलत सूचना फैलाते हैं या विशिष्ट लोगों और समुदायों को निशाना बनाते हैं.

ये ट्रोल सेनाएँ अलग-थलग व्यक्ति नहीं हैं जो भूमिगत होकर काम करते हैं, बल्कि लक्षित उत्पीड़न के लिए एक ख़ास तरीक़े और रणनीति वाली अत्यधिक संगठित ऑनलाइन भीड़ हैं. विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के सामान्य तथा पत्रकार आदि विशिष्ट लोग इसके शिकार हुए हैं. लक्षित हमलों के अलावा, टेक फॉग नफरत और नकली समाचारों का यह पारिस्थितिकी तंत्र है, जो औसत नागरिक को नकली समाचारों से इस कदर भर देता है कि वास्तविकता झूठी पड़ जाती है, और उसके स्थान पर एक ग़लत और काल्पनिक सत्य को निर्मित कर दिया जाता है. इन उपकरणों के माध्यम से सोशल मीडिया, जो प्रामाणिक सार्वजनिक स्थल और लोकतांत्रिक बहस के लिए एक उपयुक्त स्थान हो सकता है, एक ऐसे स्थान में परिवर्तित हो गया है जहां सार्वजनिक मत के ठीक उलट राज्य और कॉर्पोरेट के हितों की बात होती है तथा जो पूर्णतः संविधान विरोधी हैं. संक्षेप में, टेक फॉग जैसे सोशल मीडिया टूल सार्वजनिक संवाद को प्रभावित करते हैं और सहभागी लोकतंत्र को अस्थिर करते हैं.

टेक फॉग ऐप लोकतंत्र विरोधी होने के साथ-साथ निजता के अधिकार और लोगों की अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला भी है. टेक फॉग ऐप का खुलासा एक इज़राइली स्पाइवेयर, पेगासस के उपयोग के खुलासे से जुड़ता है, जिसके द्वारा प्रमुख रूप से पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी पार्टी के सदस्यों व सामान्य लोगों के फोन को बिना उनकी अनुमति के हैक, ट्रैक और नियंत्रित किया जाता है. भाजपा द्वारा अपने नागरिकों के जीवन में हैकिंग और स्नूपिंग करने की कोई सीमा नहीं है, और यह एक ‘निगरानी राज्य’(surveillance state) की विशेषता है.यह एक ऐसी संरचना का निर्माण करता है जो नागरिक स्वतंत्रता के सबसे बुनियादी अधिकार को नष्ट करता है. लगभग 4 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने पुत्तास्वामी वर्सेज़ यूनियन ऑफ़ इंडिया के मामले में, भारत के संविधान के तहत “गोपनीयता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में” स्थापित किया था. बीजेपी सरकार पेगासस जैसे अंतरराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर और टेक फॉग ऐप जैसे घरेलू ऐप का इस्तेमाल करके नागरिकों के फोन की जासूसी कर रही है, उनके निजी डेटा को चुराकर, इच्छित संदेश फैलाने के लिए उनके फोन को नियंत्रित कर रही है, यह निजता के मौलिक अधिकार के साथ नागरितकता की अन्य निर्मितियों का उल्लंघन है.

टेक फॉग ऐप सोशल मीडिया, फेसबुक और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनियों की भूमिका पर भी महत्वपूर्ण सवाल उठाता है, जो बीजेपी के प्रचार में सहायक कलाकारों की भूमिका निभाते हैं. एक फेसबुक व्हिसलब्लोअर द्वारा हाल के खुलासे से पता चलता है कि कैसे फेसबुक जानबूझकर और स्वेच्छा से इस तथ्य से आंखें मूंद लेता है कि बड़ा हिट देने के लिए डिज़ाइन की गयी सामग्री घृणा फैलाने वाली, भावनाओं को भड़काने वाली तथा सही तथ्यों के विपरीत होती है. ज्यादा हिट का मतलब है ज्यादा मुनाफा – यानी नफरत को फेसबुक के लिए एक आकर्षक बिजनेस ऑपरेटिंग मॉडल बनाना. अपनी साइट पर फर्जी खबरों और घृणित प्रचार से निबटने में ट्विटर का प्रदर्शन बेहतर नहीं है. जिन लोगों को असंतुष्ट या सत्ता-विरोधी माना जाता है, उनके ट्वीट और ट्विटर अकाउंट नियमित रूप से सच बोलने के लिए निलंबित कर दिए जाते हैं, जबकि दक्षिणपंथी विचारकों द्वारा मौत और बलात्कार की धमकी सहित घृणित संदेश ट्विटर पर बने रहते हैं. उदाहरण के लिए: #CompleteBoycottofMuslims जैसे मुस्लिम विरोधी हैशटैग ट्विटर पर हटाए जाने से पहले पूरे 48 घंटे तक ट्रेंड में रहे.चरमपंथी प्रचार और बड़ी तकनीक का मिश्रण दुनिया भर में और विशेष रूप से भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए एक खतरनाक स्थिति को दर्शाता है.

ध्यान देने की बात है कि अप्रैल 2020 में इस गुप्त और आक्रामक ऐप, टेक फॉग को ट्वीट्स की एक श्रृंखला के माध्यम से प्रकाश में लाया गया था, जहाँ यह भी दावा किया गया था कि इस ऐप का उपयोग भाजपा से जुड़े राजनीतिक व्यक्तित्वों द्वारा किया जाता है.आइलाज(AILAJ) इन दावों की जाँच करने और इसके निष्कर्ष प्रकाशित करने के लिए ‘द वायर’ को सलाम करता है. केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों ने इन दावों की जांच नहीं करने का विकल्प चुना, जोकि इस अवैध काम में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट करता है.

‘आइलाज’ (AILAJ) की माँग है कि टेक फॉग खुलासे में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र, समयबद्ध और जाँच की जाए, और यह सुनिश्चित किया जाए कि इन अवैध और आक्रामक गतिविधियों के पीछे के कर्मियों, विशेष रूप से ऊँचे पदों पर आसीन प्रमुख लोगों पर, लोकतंत्र, संवैधानिक मूल्यों और लोगों की नागरिक स्वतंत्रता पर हमला करने के उनके अपराधों पर मुकदमा चलाया जाए. इसके अतिरिक्त ट्विटर को इस ऐप का संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे टूल का मुकाबला करने में अपनी निष्क्रियताओं पर सफाई देनी चाहिए. हम कानूनी व्यवस्था से भी टेक फॉग ऐप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खासकर ट्विटर और फेसबुक पर सांप्रदायिक और जातिवादी नफरत को सामान्यीकृत करने के बारे में आवाज उठाने का आह्वान करते हैं।

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