सोमवार, अक्टूबर 7, 2024
होमनई दिल्लीकारपोरेट के लिए अमृत, किसान व जनता के लिए जहर का प्याला...

कारपोरेट के लिए अमृत, किसान व जनता के लिए जहर का प्याला है मोदी सरकार का बजट: किसान महासभा

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय किसान महासभा ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश बजट को देश के संशाधनों की कारपोरेट लूट और किसानों, आम जनता से खुले धोखे का बजट करार दिया है। किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा, यह बजट खेती, व्यापार और लघु उद्योगों के लिए घोर निराशा का बजट है, जो इस देश देश के 80 प्रतिशत आबादी की आजीविका के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। यह बजट कारपोरेट के लिए अमृत तथा आर्थिक तंगी व बेरोजगारी की मार से त्रस्त देश की 80 प्रतिशत आबादी के लिए जहर का प्याला है।

किसान महासभा के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा कई बार दोहराया था, लेकिन इस बजट में इसके लिए कोई भी प्रावधान नहीं किये गए हैं। इस बजट में किसानों की सभी फसलों की C/2+ 50 प्रतिशत एमएसपी पर खरीद के लिए धन आवंटन का कोई प्रावधान नहीं है। यही नहीं फसलों के भंडारण और पूरे देश में मंडियों के विकास के लिए कोई प्रावधान नहीं है। किसानों के गन्ने का ब्याज सहित बकाया भुगतान का भी कोई प्रावधान नहीं है। बीज, खाद, कीटनाशक, डीजल और बिजली की बढ़ी कीमतों से राहत और आवारा पशुओं तथा जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। बजट में किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए भी प्रावधान नहीं है। बजट में मनरेगा की राशि और मजदूरी दर बढाने का भी कोई प्रावधान नहीं है। कुल मिलाकर कहा जाए तो बजट पूरी तरह किसान विरोधी और कृषि संकट को बढाने वाला है।

किसान महासभा ने कहा है कि बजट में घोर आर्थिक संकट में घिरी देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कोई पहल नहीं दिखती है। निर्माण, छोटे उद्योगों, व्यापार, होटल और पर्यटन उद्योग जो इस मंदी की मार से सबसे ज्यादा बेहाल है, वहां लोगों ने सबसे ज्यादा रोजगार खोए हैं, उनके लिए कुछ भी बजट में नहीं किया है। इन क्षेत्रों के बेरोजगार हुए लोगों को नकद न्यूनतम मासिक आय और इस क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए सरकार की ओर से कर्ज के बजाय सहायता जरूरी है। पर बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं है। बाजार में तरलता लाने के जरिये व्यापार, उद्योग को पटरी पर लाकर रोजगार के अवसर बढाने की कोई मंशा बजट में नहीं दिखती है।

किसान महासभा के अनुसार बजट में देश के संशाधनों की कारपोरेट लूट को बढ़ाने के पूरे प्रावधान हैं। दूसरी ओर इस मंदी में एक साल में ही एक तिहाई तक सम्पति बढ़ाने वाले कारपोरेट घरानों को टेक्स में भारी छूट दी गई है। 1991-92 में भारत में कारपोरेट टैक्स 45 प्रतिशत था। मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब भी कारपोरेट टैक्स 30 प्रतिशत था। पर इस बजट में अब वह घट कर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि इसी कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने बैंकों में जमा पर व्याज दरें एकदम निचले स्तरों पर गिरा दी । जिससे लाखों बुजुर्ग जिनको आजीविका बैंक से प्राप्त व्याज से चलती थी संकट झेल रहे हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments