शनिवार, जुलाई 27, 2024
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छत्तीसगढ़ के आदिवासी मंत्री द्वारा गैर आदिवासी को बेची जा रही जमीन: आदिवासी समाज ने किया विरोध

सर्व आदिवासी समाज ने दर्ज कराई आपत्ति

रायपुर/बिलासपुर (पब्लिक फोरम)। बिलासपुर जिले के बिल्हा तहसीलदार (कार्यपालिक दंडाधिकारी) न्यायालय में प्रदेश के आदिवासी मंत्री प्रेमसाय सिंह पिता भंजनराम सिंह जाति गोंड़ द्वारा अपनी भूमि गैर आदिवासी को विक्रय हेतु अनुमति देने आवेदन किया गया है। इस पर सर्व आदिवासी समाज ने आपत्ति दर्ज कराई है।

सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष रमेश चंद्र श्याम ने बताया कि प्रेमसाय सिंह पिता भंजनराम सिंह निवासी हाउस नं 1 139/1 हास्पिटलपारा अमनदोन सूरजपुर प्रतापपुर (छ. ग.) जो कि विधायक और मंत्री हैं, उनके द्वारा ग्राम पेन्द्रीडीह तहसील बिल्हा जिला बिलासपुर स्थित भूमि खसरा नं 254/3, रकबा 1.092, 2547 रकबा 0.409, 254/9 रकबा 0.910, 254/11 रकबा 0.283 259 रकबा 0.769 हेक्टेयर कुल खसरा नं 5 कुल रकबा 3.463 (8.55 एकड़) भूमि को गैर आदिवासी दिव्यदीप गुप्ता पिता द्वारिका प्रसाद गुप्ता के पास विक्रय की अनुमति दिए जाने हेतु आवेदन किया गया है। सर्व आदिवासी समाज ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि गैर आदिवासी के पास आदिवासी भूमि का विक्रय अनुमति प्रदान करने से पूर्व निम्न बिंदुओं पर न्यायालय स्वयं पड़ताल कर आश्वस्त हों तथा समाज को आश्वस्त कराएं।

उक्त सभी भूमि आवेदक की पैतृक संपति है अथवा स्वअर्जित है ? स्वअर्जित संपति है तो आदिवासी से क्रय किया गया है अथवा गैरआदिवासी से?
यदि स्वअर्जित संपति है तो क्रय करते समय और वर्तमान में आवेदक की आर्थिक स्थिति, आय और उसके श्रोत का निर्धारण किया जाए। इसके लिए आदिवासी आवेदक के व्यवसाय, बैंक खाते का स्टेटमेंट, इनकम टैक्स रिटर्न आदि का स्वयं परीक्षण करें।
क्रय करते समय आवेदक द्वारा राशि के भुगतान किस माध्यम से (नगद या बैंक ट्रांसफर/चेक ) किया गया है इसके लिए क्रेता के एकाउंट से राशि का डेबिट होने तथा विक्रेता के एकाउंट में क्रेडिट होने का बैंक स्टेटमेंट का परीक्षण कराया जाय ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बेनामी (निर्बन्ध) अधिनियाम 2016 का उलंघन तो नहीं हुआ।
व्यक्ति कठिन समय में आवश्यकता पूर्ति के लिये भूमि का न्यूनतम भाग ही
बेचता है, ऐसी क्या परिस्थिति आ गई है कि 5 (पाँच) खसरा नं. की कुल साढ़े आठ एकड़ (8.55 एकड़) भूमि को एकमुश्त बेचा जा रहा है? स्वयं आश्वस्त हों। यह आदिवासी भूमि को छलपूर्वक गैर आदिवासी को बेचने का का हथकंडा तो नहीं है?
प्रेमसाय सिंह ने उपरोक्त जमीन कब, किससे और कितने में खरीदी है? यदि आदिवासी से खरीदी है तो उसे गैरआदिवासी के पास क्यों विक्रय करना चाहता है? यह असंवैधानिक और अनैतिक कृत्य है।
आदिवासी आवेदक अपनी भूमि को आदिवासी समाज के व्यक्ति के पास न बेच कर गैर आदिवासी को ही क्यों बेचना चाहता है?
यह भी सुनिश्चित किया जाए कि गैर आदिवासी के पास भूमि विक्रय अनुमति से भू राजस्व संहिता के अनुच्छेद 165 का उलंघन तो नहीं हो रहा है।

आदिवासी समाज ने न्यायालय से निवेदन किया है कि आदिवासी भूमि को गैर आदिवासी के पास विक्रय की अनुमति की अनुशंसा करने से
पूर्व उपरोक्त बिंदुओं का गंभीरता पूर्वक परीक्षण कर स्वयं आश्वस्त हों और समाज को भी आश्वस्त करें, ताकि आदिवासियों को संविधान प्रदत सरंक्षण की मूल भावना आहत न हो।

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