शनिवार, जुलाई 27, 2024
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आज उनकी बारी आयी है, कल आपकी आएगी

आज उनकी बारी आयी है और कल आपकी आएगी

पहले उसने मुस्लिमों को पीटा और हत्या की
मैं चुप था
क्योंकि मैं मुस्लिम न था।


फिर उसने आदिवासियों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बालात्कार किया
मैं चुप था
क्योंकि मैं आदिवासी न था।


फिर उसने दलितों को ज़िंदा जला दिया और उनके गुप्तांग काट लिए
मैं चुप था।
क्योंकि मैं दलित न था।


फिर उसने कश्मीरियों के बच्चो व नौजवानों की हत्या की और गाँव की महिलाओं के साथ बलात्कार किया
मैं चुप था
क्योंकि मैं कश्मीरी न था।


फिर उसने छात्रों को पीटा और देशद्रोह के केस लगाकर जेल में डाल दिया
मैं चुप था क्योंकि
मैं छात्र न था।


फिर उसने मजदूरों के हाथ काट लिए और आजीवन कारावास दे दिया
मैं चुप था क्योंकि
मैं मजदूर न था।


फिर उसने किसानों पर हमला किया और उनको गाड़ियों से कुचल कर मार दिया
मैं चुप था क्योंकि
मैं किसान न था।


फिर उसने डॉक्टरों के ऊपर डंडे चलाये और उसको जेल में बंद कर दिया
मैं चुप था क्योंकि
मैं डॉक्टर न था।

इस तरह उसने हर वर्ग के लोगों योय कुचला, मारा, हत्या की, बलात्कार की और गायब कर दिया।

मैं हर बार चुप रहा
क्योंकि मैं उनमें न था।

हमने चुप्पी इसलिये नहीं तोड़ी

हमने चुप्पी इसलिए नहीं तोड़ी, क्योंकि हम उन वर्गों में न थे बल्कि
असल मे हम इंसान न थे और हममें इंसानियत न थी।

अगर इंसान और इंसानियत होती हम चुप रहना तो दूर हम जवाबी करवाई करते।

ठीक उन कश्मीरियों की तरह जो लड़ रहे इन अन्याय के खिलाफ अपनी आजादी के लिए।

उन उत्तर भारतीय राज्यो की तरह जो पूरी ताकत से संघर्षरत है अपनी मुक्ति के लिए

मध्य भारत के उन आदिवासियों की तरह जो लड़ रहे अपने अस्तित्व को बचाने के साथ-साथ पूरी दुनिया से इस अन्याय को खत्म करने के लिए।
-अनुपम कुमार

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